गेहूँ की फसल से जिद्दी खरपतवार का होगा सफाया! अपनाएं यह असरदार तरीका, पैदावार में होगी 30% तक की वृद्धि Gehu me kharpatwar nashak

Gehu me kharpatwar nashak : गेहूँ की खेती करने वाले किसानों के लिए गुल्ली-डंडा (मंडूसी) किसी दुश्मन से कम नहीं है। यह जिद्दी खरपतवार न केवल गेहूँ जैसा दिखता है, बल्कि मिट्टी के सारे पोषक तत्व भी सोख लेता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही समय पर इसका नियंत्रण न किया जाए, तो गेहूँ की पैदावार में 25 से 30 प्रतिशत तक की भारी कमी आ सकती है।

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे आप आधुनिक तकनीक और सही दवा के इस्तेमाल से अपनी फसल को खरपतवार मुक्त बना सकते हैं।

खरपतवार नियंत्रण का ‘गोल्डन टाइम’ (सही समय)

गेहूँ की बुवाई के बाद 30 से 35 दिन का समय सबसे संवेदनशील होता है। आमतौर पर पहली सिंचाई के बाद जब किसान यूरिया का छिड़काव करते हैं, तब नमी पाकर गुल्ली-डंडा (Phalaris minor) और अन्य खरपतवार तेजी से सिर उठाने लगते हैं। इसी समय इनका इलाज करना सबसे प्रभावी होता है।

जिद्दी खरपतवारों के लिए सबसे अचूक दवा: सिंजेंटा एक्सियल (Syngenta Axial)

जब साधारण दवाएं काम करना बंद कर दें, तब सिंजेंटा एक्सियल किसानों के लिए वरदान साबित होती है।

क्यों है यह इतनी खास?

  • पिनोक्साडेन 5.1% EC: इसमें मौजूद यह तकनीकी फॉर्मूला विशेष रूप से मंडूसी और जंगली जई जैसे घास वर्गीय खरपतवारों को निशाना बनाता है।
  • सेफनर टेक्नोलॉजी: इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह गेहूँ की मुख्य फसल को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती, केवल खरपतवारों को चुन-चुनकर नष्ट करती है।
  • तेजी से असर: छिड़काव के कुछ ही दिनों के भीतर खरपतवार सूखने लगते हैं और फसल को बढ़ने के लिए पूरा पोषण मिलता है।

छिड़काव का सही तरीका और डोज (100% रिजल्ट के लिए)

दवा चाहे कितनी भी अच्छी हो, अगर इस्तेमाल का तरीका गलत है तो पूरा लाभ नहीं मिलता। बेहतर परिणामों के लिए इन बातों का पालन करें:

  1. सही मात्रा: एक एकड़ खेत के लिए 400 मिलीलीटर एक्सियल का प्रयोग करें।
  2. पानी का चयन: दवा को कम से कम 120 से 150 लीटर साफ पानी में घोलें। गंदे या तालाब के पानी से दवा का असर कम हो जाता है।
  3. खरपतवार की अवस्था: जब खरपतवार 2 से 4 पत्तियों की अवस्था में हों, तब स्प्रे करना सबसे बेस्ट है।
  4. मिश्रण से बचें: एक्सियल को कभी भी अन्य खरपतवार नाशक या यूरिया के साथ मिलाकर स्प्रे न करें। इसे हमेशा अकेला (Standalone) ही इस्तेमाल करें।

नमी का रखें खास ख्याल

खरपतवार नाशक दवाओं की सफलता पूरी तरह से खेत की नमी पर निर्भर करती है।

  • सिंचाई के बाद जब खेत में पैर सहने लायक नमी (वतर) आ जाए, तभी स्प्रे करें।
  • सूखे खेत में छिड़काव करने से दवा का असर नहीं होता और फसल पर उल्टा प्रभाव पड़ सकता है।

गेहूँ की फसल से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए खरपतवारों को शुरुआती दौर में रोकना बहुत जरूरी है। सिंजेंटा एक्सियल जैसा प्रभावी समाधान और सही प्रबंधन अपनाकर आप न केवल अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि अपनी मेहनत की कमाई को भी बढ़ा सकते हैं।

क्या आपके खेत में भी गुल्ली-डंडा का प्रकोप बढ़ रहा है? हमें कमेंट में बताएं और कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें।

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